नमस्कार सर,
मेरा नाम आकांक्षा तिवारी है. सर मुझे आपका प्रोजेक्ट विचार पसंद आया. उदाहरण के लिए हम एक कहानी अपको लिख रहे, आपके दिए गए विषयअनुषाअर. मुझे आशा है अपको पसंद आए.
सावली बहू
घर में चारों तरफ़ हलचल थी. खुशी का माहौल था. शहानाईयो की आवाज गूंज रही थी. अखिर आज वो दिन आ गया है जिसकी हर लड़की को इन्तज़ार रहता है,शादी का दिन, जो हर लड़की का सपना होता है. लाल रंग की साड़ी मे, सर पे चुनर की घुघट मे ना जाने कितने सपने संजो रही होती है.
शादी सम्पन्न हो गई. सुबह बिदाई का मुहूर्त था. बाहर से लड़के वालों की अवाज आ रही थी, "अरे जल्दी किजिये बिदाई का समय हो गया. अश्रु की धारा बहने लगी. दहेज के सामान के साथ लड़की विदा हो गयी. अब वो उस जगह थी जहा उसका कोई अपना नहीं था. चुकी माँ ने कहा था कि जिस जगह जा रही हो वहा सास ही तुम्हारी माँ होगी, ससुर पिता, देवर भाई. सारे रिश्तो को माँ ने बताया था, फिर भी वो जगह उसके लिए अनजान थी. क्योंकि जन्म से 22 साल तक के उम्र तक जिस जगह को उसने अपना माना था अब वो जगह भी उसके लिए परायी थी. जिस जगह पे वो खड़ी थी वो जगह उसके लिए अनजान. बंदिता घबराहट में कंपी जा रही थी.
शोर मचा दुल्हन आ गयी, दुल्हन का स्वागत सत्कार किया गया. अब रसम आई मुंह दिखाई की. बंदिता की सास मुँह दिखाई की रसम की शुरुआत की. देखते ही होठ बीचकाते बोली, "ह्म्म ये क्या इतनी सांवली दुल्हन". अब तो बंदिता पे एक के बाद एक हर रोज तानो की बौछार होने लगी.
कभी कोई दहेज के लिए तो कभी सावाले रंग के लिए. बंदिता की सांस के अनुसार तो पूरी पीढी ही खराब हो गई थी. "अब तो सारे बच्चे भी काले कालूठे ही पैदा होंगे.