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गोपालगंज

    गोपालगंज का बिहार प्रमुख जिला है। 2 अक्टूबर 1973 को गोपालगंज सारण जिला से अलग नया जिला बना। गोपालगंज की आबादी करीब 32 लाख है। यहां दो अनुमंडल है। सदर अनुमंडल और हथुआ अनुमंडल। जबकि 14 प्रखंड और अंचल कार्यालय हैं। गोपालगंज सामरिक और आर्थिक रूप से भी काफी महत्वपूर्ण जिलों में शुमार है। सेकेंड वर्ल्ड वार के दौरान भी गोपालगंज की काफी महत्वपूर्ण भूमिका थी। यहां के सबेया हवाई अड्डा से कई देशों की सेना ने हवाई मार्ग से उड़ान भरी थी। पूर्व के वर्षों में गोपालगंज की पहचान जंगल पार्टी के रूप में होती थी। आज गोपालगंज बिहार के कई विकसित और आर्थिक रूप से संपन्न जिलों में एक है। यहां की अधिकतर आबादी खाड़ी देशों में काम करती है। अधिकतर प्रवासी होने की वजह से गोपालगंज बिहार का दूसरा जिला है, जहां पर सबसे ज्यादा विदेशी मुद्रा आते हैं। गन्ना यहां की सबसे ज्यादा उपज वाली फसल है। गन्ना की रेकॉर्ड उपज की वजह से यहां पर चार चीनी मिल और एक डिस्टलरी फैक्ट्री भी था। वर्तमान में गोपालगंज में 3 चीनी मिल कार्यरत हैं। गोपालगंज का विष्णु शुगर मिल, भारत सुगर मिल सिधवलिया और सासामुसा शुगर मिल सासामुसा वर्तमान में कार्यरत है, जिससे उत्तर बिहार और पूर्वी उत्तर प्रदेश के किसानों को बड़ा बाजार उपलब्ध है। गोपालगंज बिहार के बाढ़ से प्रभावित जिलों में शामिल है। गंडक नदी में हर साल बाढ़ आती है, जिसका त्रासदी गोपालगंज की आधी आबादी को झेलनी पड़ती है। गोपालगंज से यूपी का गोरखपुर 110 किलोमीटर, कुशीनगर 70 किलोमीटर, मुजफ्फरपुर 120 किलोमीटर, सिवान 30 और छपरा 100 किलोमीटर की दूरी पर है। गोपालगंज का प्रमुख पर्यटन स्थल थावे दुर्गा मंदिर, बरौली का नकटो भवानी मंदिर, बैकुंठपुर का सिंहेश्वर धाम, डुमरिया स्थित नारायणी रिवर फ्रंट, हथुआ पैलेस, मांझागढ़ पैलेस, भोरे का हुस्सेपुर किला यहां के प्रसिद्ध ऐतिहासिक स्थल हैं। गोपालगंज से पूर्व में अब्दुल गफूर, लालू प्रसाद यादव, राबड़ी देवी बिहार के मुख्यमंत्री रहे। जबकि वर्तमान में बिहार के डेप्युटी सीएम तेजस्वी यादव भी गोपालगंज के फुलवरिया गांव के रहने वाले हैं। अगर बात करे गोपालगंज की प्रतिभा की तो पंकज त्रिपाठी ने भी गोपालगंज की अलग पहचान बनाई है।